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माय नियर एग्जाम में आपका स्वागत
है। हर रोज की तरह आज इस लेख में हम आपके लिए विधान परिषद से संबंधित
महत्वपूर्ण जानकारी जैसे विधान परिषद की संरचना | विधान परिषद के सदस्यों की
संख्या | विधान परिषद सदस्यों की योग्यता | विधान परिषद सदस्यों के निर्वाचन
पद्धति | विधान परिषद के सदस्यों की कार्यकाल एवं विधान परिषद के कार्य एवं
शक्तियां के बारे चर्चा करने वाले हैं जो निम्नलिखित इस प्रकार है :-
विधान परिषद की संरचना
विधान परिषद (द्विसदनीय विधायिका) राज्य विधायिका का उच्च सदन है। विधान परिषद
राज्यसभा की तरह स्थायी सदन है जो कभी भी भंग नहीं होता है। अधिकतर राज्यों में
विधान परिषद नहीं है। बहुत कम राज्यों में द्विसदनीय विधायिका यानी विधान
परिषद है। बाकी राज्यों में एक सदनीय विधायिका का अर्थात
विधानसभा
है।
भारत में विधान परिषद की संख्या 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र,
बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा जम्मू एवं कश्मीर (36) में थी, लेकिन
वर्तमान समय में
जम्मू एवं कश्मीर
को दो संघ राज्य क्षेत्र में विभाजित होने के बाद वहां 31 अक्टूबर 2019 से
विधान परिषद भंग कर दी गई, इस तरह वर्तमान समय में विधान परिषद की संख्या 6 रह
गई है।
किसी राज्य में विधान परिषद का निर्माण या उसे समाप्त करने का अधिकार संसद को
प्राप्त है विधान परिषद आंशिक रूप से अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होती है तथा
कुछ भाग मनोनीत किया जाता है राज्यसभा की तरह विधान परिषद भी स्थाई सदन है जो
कभी भांग नहीं किया जा सकता है।
क्रम संख्या | राज्य | विधान परिषद सदस्यों की संख्या |
---|---|---|
1. | उत्तर प्रदेश | 100 |
2. | कर्नाटक | 75 |
3. | महाराष्ट्र | 78 |
4. | बिहार | 75 |
5. | आंध्र प्रदेश | 50 |
6. | तेलंगाना | 40 |
विधान परिषद में सदस्यों की संख्या
- विधान परिषद के सदस्यों की संख्या उस राज्य के विधान सभा के सदस्यों की संख्या से 1/3 से अधिक नहीं हो सकती, किंतु वह संख्या 40 से कम नहीं होनी चाहिए।
- विधान परिषद के सदस्यों की संख्या के 1/6 सदस्य, राज्य के राज्यपाल द्वारा उन लोगों में से मनोनीत किए जाते हैं जो कला, विज्ञान, साहित्य, समाज सेवा या सहकारिता के क्षेत्र में विशेष अनुभव रखते हैं।
- विधान परिषद के 1/12 सदस्यों का निर्वाचन, अध्यापकों से मिलकर बने निर्वाचन मंडल के माध्यम से होता है।
- विधान परिषद के 1/12 सदस्यों का निर्वाचन, पूर्व स्नातकों से बने निर्वाचक मंडल के माध्यम से होता है।
- विधान परिषद की कुल सदस्यों की संख्या के 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों (नगरपालिका, जल बोर्ड) के सदस्यों के मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा निर्वाचित होते हैं।
- विधान परिषद के कुल सदस्यों के 1/3 सदस्य उस राज्य की विधान सभा द्वारा निर्वाचित होते हैं।
विधान परिषद सदस्यों की योग्यता
विधानपरिषद के सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए-
- वह भारत का नागरिक हो;
- 30 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका हो;
- राज्य का पंजीकृत मतदाता हो;
- उसके पास कोई लाभ का पद ना हो।
विधान परिषद के सदस्यों का निर्वाचन पद्धति
- विधान परिषद आंशिक रूप से निर्वाचित तथा आंशिक रूप से मनोनीत होती है। विधान परिषद के अधिकतर सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होता है।
विधान परिषद के सदस्यों के कार्यकाल
- विधानपरिषद के सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 30 वर्ष है। विधान परिषद के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है किंतु प्रति दूसरे वर्ष एक तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं और उनके स्थान पर नए सदस्य निर्वाचित होते हैं।
- यदि कोई व्यक्ति किसी सदस्य की मृत्यु या त्यागपत्र द्वारा हुई आकाश स्वीकृति को भरने के लिए निर्वाचित होता है तो वह सदस्य शेष अवधि के लिए ही सदस्य रहता है न कि 6 वर्ष के लिए।
- विधान परिषद को संबोधित करने के लिए परिषद के सदस्यों अपने में से ही एक सभापति तथा एक उपसभापति का चुनाव करते हैं। इनकी अनुपस्थिति में राज्यपाल द्वारा नियुक्त व्यक्ति को सभापति के पद पर कार्य करना होता है।
विधान परिषद के सदस्यों की कार्य एवं शक्तियां
- विधान परिषद को विधायी कार्य संबंधी शक्तियां प्राप्त है। इसके तहत वह विधानसभा के साथ मिलकर कानून बनाती है।
- संविधान में संशोधन हेतु विधानसभा के साथ संयुक्त रूप से भूमिका निभाती है। किसी तरह की असहमति होने पर संयुक्त बैठक की जाती है जहां बहुमत के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं।
- धन विधेयक पर चर्चा करने के लिए विधान परिषद को 14 दिनों का अवसर प्राप्त होता है। यदि धन विधेयक पर विधान परिषद की स्थिति कमजोर है तब विधानसभा में बहुमत होने के पर मनमाने तरीके से काम करने पर राज्य कार्यपालिका पर विधान परिषद अंकुश लगाने की शक्तियां प्राप्त है।
- कार्यपालिका संबंधी मामलों में वह मंत्रियों से विभिन्न माध्यमों पर प्रश्न पूछ सकती है। प्रशासन के किसी गलत कार्यों के लिए संबंधित मंत्रालय की आलोचना करने की शक्तियां भी प्राप्त है।
- विधान परिषद को प्रभावी कार्य अधिकार प्राप्त नहीं है यह वरिष्ठ सदस्यों और विद्वान जनों की परिषद है। जो सदन के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर महत्वपूर्ण सलाहकार साबित होते हैं।
हमने क्या सीखा
राज्य विधायिका राज्यपाल, विधान परिषद तथा विधानसभा से मिलकर बनती है। इस तरह
से भारत के अधिकतर राज्यों में एक सदनीय विधान मंडल है लेकिन कुछ राज्यों में
द्विसदनीय विधान मंडल अर्थात विधान परिषद है। वर्तमान समय में भारत के 6
राज्यों में विधान परिषद है बाकी राज्यों में विधानसभा है। किसी राज्य में
विधान परिषद का निर्माण या उससे समाप्त करने का अधिकार संसद को प्राप्त है
विधान परिषद के सदस्यों आंशिक रूप से अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होती है तथा
कुछ सदस्यों मनोनीत किया जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
हमें उम्मीद है हमारे द्वारा उपलब्ध कराया गया यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। इसलिए के अंतर्गत हमने राज्यो की विधान परिषद की संरचना, विधान परिषद के सदस्यों की संख्या, विधान परिषद सदस्यों की योग्यता, विधान परिषद सदस्यों की निर्वाचन पद्धति जैसे महत्वपूर्ण टोपी को शामिल किया है। सामान्य ज्ञान से जुड़े ऐसी नई नई जानकारियां के लिए हमारे वेबसाइट www.MyNearExam.in विजिट करते रहे।
अक्सर पूछे जाने वाला प्रश्न (FAQ)
Q.विधान परिषद के सदस्यों की कार्यकाल कितना होता है?
विधान परिषद के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि विधानसभा के
सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है।
Q.विधान परिषद के सदस्यों की न्यूनतम आयु सीमा कितनी है?
विधान परिषद के सदस्यों की न्यूनतम आयु सीमा 30 वर्ष है जबकि विधान सभा के
सदस्यों की आयु सीमा 25 वर्ष है।
Q.विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव कैसे होता है?
विधान परिषद के अधिकतर सदस्यों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल
संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होता है।
Q. परिषद कितने राज्यों में है?
वर्तमान में विधान परिषद 6 राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र,
आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में है।
Q.क्या वर्तमान में जम्मू कश्मीर में विधान परिषद है?
जम्मू एवं कश्मीर दो संघ राज्य क्षेत्र में विभाजित होने के बाद 30 अक्टूबर
2019 के बाद से यहां विधान परिषद भंग कर दी गई है।
Q.विधान परिषद कौन भंग कर सकता है?
विधान परिषद राज्यसभा की तरह स्थायी सदन है जो कभी भांग नहीं किया जा सकता
है।
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