प्रिय पाठकों! माय नियर एग्जाम डॉट इन में आपका स्वागत है। पिछले लेख के माध्यम से भूकंप किसे कहते हैं टॉपिक को शामिल किया था। प्रतिदिन की तरह आज इस लेख के भूगोल विषय से संबंधित टॉपिक 'चक्रवात' (Cyclone) के अंतर्गत चक्रवात क्या है | चक्रवात किसे कहते हैं | चक्रवात के कितने प्रकार होते हैं | चक्रवात आने के कारण | चक्रवात से बचने के उपाय एवं प्रतिचक्रवात आदि को इस लेख में शामिल किया है जो निम्नलिखित इस प्रकार है :-


चक्रवात (Cyclone) :− चक्रवात निम्न वायुदाब के केंद्र होते हैं, झील के चारों तरफ केंद्रभिमुखी वायुदाब रेखाएं फैली होती हैं। केंद्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है जिसके परिणाम स्वरूप परिधि से केंद्र की ओर हवाएं चलने लगती है, जिनकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुईयों के विपरीत (Anti-Clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की सुई की दिशा (Clockwise) में होती है। चक्रवात का आकार मुख्यत: अंडाकार या अंग्रेजी के अक्षर U के समान होता है।

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चक्रवात की उत्पत्ति दो भिन्न तापमान वाली वायुराशियों के मिलने से होती है। चक्रवातों की शक्ति का मापन टी−मापक (T-Scale)  पर किया जाता है।


चक्रवात की संरचना | Structure of Cyclone

किसी चक्रवात का केंद्र एक शांत क्षेत्र होता है। इसे 'झंझा का नेत्र' कहते हैं। कोई विशाल चक्रवात वायुमंडल में वायु का तेजी से घूर्णन करता पिंड होता है, जो पृथ्वी तल से 10 से 15 किमी. ऊँचाई पर स्थित होता है। चक्रवात के नेत्र का व्यास 10 से 30 किमी. तक होता है। यह बादलों से मुक्त क्षेत्र होता है और इसमें पवन का वेग न्यून होता है। इस शांत और स्पष्ट नेत्र के इर्दगिर्द लगभग 150 किमी. अमाप  का बादल का क्षेत्र होता है। इस क्षेत्र में उच्चवेग की पवन (150-250 किमी./घंटा) और सघन वर्षा वाले घने बादल होते हैं। इस क्षेत्र से परे पवन वेग क्रमशः कम होता जाता है। चक्रवातों की उत्पत्ति का प्रक्रम अत्याधिक जटिल होता है।


चक्रवात किसे कहते हैं | What is Cyclone

चक्रवात की परिभाषा जानने से पहले ये जानना जरूरी है : चक्रवात, प्रतिचक्रवात की उत्पत्ति विभिन्न प्रकार की वायु राशियों के मिश्रण के फल स्वरुप वायु की तीव्र गति से ऊपर उठकर बवंडर का रूप ग्रहण करने से होती है।
चक्रवात की परिभाषा : केंद्र में कम दाम की स्थापना होने पर बाहर की ओर बढ़ता जाता है इस अवस्था में हवाएं बाहर से भीतर की ओर चलती है इसे ही चक्रवात (Cyclone) कहते हैं।

आप जानते हैं कि जल को द्रव से वाष्प अवस्था में परिवर्तित करने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होती है। बादल के बनने से पहले जल वायुमंडल से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। जब जलवाष्प वर्षा की बूँदों के रूप में पुनः द्रव रूप में परिवर्तित होती है, तो यह ऊष्मा वायुमंडल में निर्मुक्त हो जाती है। निर्मुक्त होने वाली ऊष्मा से आस-पास की वायु गर्म हो जाती है। इस प्रकार गर्म वायु ऊपर की ओर उठती है, जिससे वायु दाब कम हो जाता है जिसके फलस्वरुप तड़ित झंझा के केंद्र की ओर उच्च वेग की अधिक वायु गति करने लगती है। इस चक्र की पुनरावृत्ति अनेक बार होती रहती है। घटनाओं की इस शृंखला का अंत बहुत ही निम्न दाब के एक ऐसे तंत्र के निर्माण के साथ होता है, जिसके चारों ओर उच्चवेग की वायु की अनेक परतें कुंडली के रूप में घूमती रहती हैं। मौसम की इस स्थिति को हम 'चक्रवात' (Cyclone) कहते हैं। वायु वेग और वायु दिशा चक्रवात  के तापमान और आर्द्रता में वृद्धि करने वाले कुछ कारक हैं।


चक्रवात के प्रकार | Types of Cyclone

चक्रवात मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित इस प्रकार हैं :−

  1. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclone)
  2. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone)

1. शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Temperate Cyclone) 

शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति पछुआ पवनों की पेटी में 30°-65° अक्षांशों के मध्य होती है। इनके चलाने के मार्ग को 'झंझापथ' कहते हैं।

विशेषताएं :-
• ये अंडाकार होते हैं।
• ये चक्रवात प्राय: पश्चिम से पूर्व दिशा में चलते हैं।
• आकार में यह 16 किलोमीटर से 32 किलोमीटर तक हो सकता है।
• इनके हल्की से मध्यम वर्षा होती है जो हल्की बौछारें के रूप में होती है।
• यह बौछारें कभी-कभी भारी बौछारों का रूप ले लेती है जहां अस्थिर उष्ण वायु में संवहन होता है, क्योंकि यह वाताग्र के आगे शीत वायु के रूप में तीव्रता से ऊपर उठती है।


2. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) 

उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक निम्न भार का तंत्र है जो उष्णकटिबंधीय अक्षांशों में विकसित होता है उष्ण कटिबंधीय चक्रवात मुख्यत: 5° से 15° अक्षांशों के बीच दोनों गोलार्धों में महासागरों के ऊपर पाए जाते हैं।

विशेषताएं :−
• इनकी उत्पत्ति सागरों के पश्चिमी छोर के निकट होती है जहां पर उष्णकटिबंधीय धाराएं बहुत ही अधिक जलवाष्प की आपूर्ति करती रहती है।
• चक्रवातो का केंद्रीय भाग चक्रवात की आंख या शांत क्षेत्र कहलाता है।
• उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में पवन की दिशा उत्तरी गोलार्ध में वामावर्त और दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त रहती है।


हरिकेन चक्रवात (Hurricane Cyclone) 

हरिकेन पूर्वी प्रशांत महासागर में मेक्सिको, ग्वाटेमाला, होंडुरास, निकारागुआ और पनामा के तटवर्ती भागों में उत्पन्न होता है। हरिकेन चक्रवात में एक शांत केंद्रीय क्षेत्र होता है जिसके के चारों ओर उच्च गति से वायु परिक्रमा करती है। इसकी रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।

टायफून चक्रवात (Typhoon Cyclone) 

पश्चिमी प्रशांत महासागर और चीन सागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को टाइफून कहते हैं।
टायफून चक्रवात एक तीव्र न्यून भार तन्त्र होता है जो पवनों को उत्पन्न करता है और भारी वर्षा करता है। इसकी गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक की होती है।

टॉरनेडो चक्रवात (Tornado Cyclone) 

एक अत्यंत तीव्र निम्न दाब केंद्र के चारों ओर विकसित वायु का तीव्रता से घूर्णन करना टॉरनेडो कहलाता है। टॉरनेडो चक्रवात मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पन्न होता है यह सबसे विनाशकारी एवं प्रचंड होता है इसकी गति 800 किलोमीटर प्रति घंटा से भी अधिक होती है।

चक्रवातों के नाम एवं स्थान | List of Cyclone


क्र. सं. चक्रवात स्थान
 1.  हरिकेन  कैरेबियन दीप समूह
 2.  टायफून  दक्षिणी चीन सागर
 3.  विली विली  ऑस्ट्रेलिया
 4.  टॉरनेडो  संयुक्त राज्य अमेरिका
 5.  चक्रवात  हिंद महासागर


चक्रवात से बचने के उपाय |Way to Avoid Cyclone

चक्रवात के दुष्प्रभावों से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय सहायक हो सकती हैं। 

सरकारी/सामाजिक स्तर पर :-

  • चक्रवात पूर्वानुमान और चेतावनी सेवा।
  • सरकारी संस्थाओं, समुद्रतटों, मछुआरों, जलपोतों और आम जनता को शीघ्रातिशीघ्र चेतावनी देने के लिए तीव्रगामी संचार व्यवस्था।
  • चक्रवात संभावित क्षेत्रों में चक्रवात आश्रयों का निर्माण और लोगों को तेजी से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था।


जनता द्वारा किए जाने वाले कार्य

  • हमें मौसम विज्ञान विभाग द्वारा दूरदर्शन, रेडियो अथवा समाचारपत्रों के माध्यम से प्रसारित की जाने वाली चेतावनियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
  • हमें अनिवार्य घरेलू साज-सामान, पालतू पशुओं और वाहनों आदि को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिए आवश्यक प्रबंध कर लेने चाहिए।
  • जलमग्न सड़कों पर वाहन चलाने से बचना चाहिए क्योंकि बाढ़ से सड़के क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
  • सभी आपात्कालीन सेवाओं जैसे पुलिस, अग्निशमन दल, और चिकित्सा केंद्रो के टेलीपफोन नंबर की सूची अपने साथ रखनी चाहिए।
  • यदि आप चक्रवात प्रभावित क्षेत्र में रहते हों, तो कुछ अन्य सावधनियाँ हैं।
  • ऐसे जल का पीने के लिए उपयोग न करें, जो संदूषित हो सकता हो। आपात स्थिति के लिए पेयजल का संग्रहण करें।
  • गीले स्विच और खंभों से टूट कर गिर गए बिजली के तारो को न छुएँ।
  • महज मनोरंजन के लिए बाढ़ अथवा चक्रवात प्रभावित क्षेत्र का भ्रमण करने बाहर न निकलें।
  • बचाव दल पर अनावश्यक माँगों की आपूर्ति के लिए दबाव न डालें।
  • अपने पड़ोसियों और मित्रों को यथासंभव सहयोग और सहायता प्रदान करे।

प्रतिचक्रवात (Anticyclones)

• प्रति चक्रवात की प्रकृति चक्रवात से पूर्णता विपरीत होती है। इनके केंद्र में उच्च दाब का क्षेत्र होता है जबकि परिधि की ओर निम्न वायुदाब पाया जाता है। जिसके कारण हवाएं केंद्र से परिधि की ओर अग्रसर होती है अर्थात हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्ध में ब्लॉक वाइज तथा दक्षिणी गोलार्ध में एंटी क्लॉक वाइज होती है।

• उपोष्ण कटिबंध ही है वायुदाब क्षेत्र में सर्वाधिक प्रतिचक्रवात ओं का निर्माण होता है किंतु भूमध्य रेखा पर इसका अभाव पाया जाता है। 

• प्रतिचक्रवात ओं में वाताग्र नहीं बनते हैं तथा चक्र वादों के विपरीत मौसम साफ एवं सुहाना होता है।

• प्रतिचक्रवात व्यास चक्रवात तो से कई गुना अधिक होता है तथा यह काफी बड़े क्षेत्र पर विस्तृत होते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

दोस्तों हमें उम्मीद है कि चक्रवात (Cyclone) से संबंधित उपलब्ध कराए गए इस लेख के के माध्यम से चक्रवात किसे कहते हैं, चक्रवात के प्रकार, चक्रवात के कारण, चक्रवात से बचने के उपाय एवं प्रतिचक्रवात जैसे टॉपिक आसानी से समझ में आ गया होगा। प्रतिदिन सामान्य ज्ञान से संबंधित नई-नई जानकारियां के लिए हमारी वेबसाइट www.MyNearExam.in को विजिट करते हैं धन्यवाद

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